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Anil Upadhyaya 's post in Association of... needs approval: "इस जीवन में सबसे बड़ा कर्जा होता है पितृ ऋण । कल आशीष यादव से मिलकर मुझे अपने ग्रेट पापा का दर्द समझ में आया । 21 साल की उम्र में पढ़ाई के दौरान ही प्रेम विवाह हो जाना और उसके बाद अपने माता-पिता से दूर किराए के कमरे में दुकान खोलना । जय नारायण डिग्री कॉलेज छात्र संघ का महामंत्री एक रुपए लेकर वीडियो गेम खेलाता था । यह कोई बहुत बड़ी उपलब्धि नहीं थी मेरी । खुद सोचिए - अगर आप अपने माता-पिता की तारीफ के काबिल नहीं हैं तो ?? राम की पूरी कहानी का केन्द्र दशरथ जी ही हैं । 💕 आशीष भाई से मिल कर आत्मिक शक्ति दोगनी हो गई । धन्यवाद भाई ". Anil Upadhyaya July 24 at 7:37 AM इस जीवन में सबसे बड़ा कर्जा होता है पितृ ऋण । कल आशीष यादव से मिलकर मुझे अपने ग्रेट पापा का दर्द समझ में आया । 21 साल की उम्र में पढ़ाई के दौरान ही प्रेम विवाह हो जाना और उसके बाद अपने माता-पिता से दूर किराए के कमरे में दुकान खोलना । जय नारायण डिग्री कॉलेज छात्र संघ का महामंत्री एक रुपए लेकर वीडियो गेम खेलाता था । यह कोई बहुत बड़ी उपलब्धि नहीं थी मेरी । खुद सोचिए - अगर आप अपने माता-पिता की तारीफ के काबिल नहीं हैं तो ?? राम की पूरी कहानी का केन्द्र दशरथ जी ही हैं । 🙏🙏❤️💕 आशीष भाई से मिल कर आत्मिक शक्ति दोगनी हो गई । धन्यवाद भाई ❤️💞 |
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| | Anil Upadhyaya's post in Association of... needs approval: "इस जीवन में सबसे बड़ा कर्जा होता है पितृ ऋण । कल आशीष यादव से मिलकर मुझे अपने ग्रेट पापा का दर्द समझ में आया । 21 साल की उम्र में पढ़ाई के दौरान ही प्रेम विवाह हो जाना और उसके बाद अपने माता-पिता से दूर किराए के कमरे में दुकान खोलना । जय नारायण डिग्री कॉलेज छात्र संघ का महामंत्री एक रुपए लेकर वीडियो गेम खेलाता था । यह कोई बहुत बड़ी उपलब्धि नहीं थी मेरी । खुद सोचिए - अगर आप अपने माता-पिता की तारीफ के काबिल नहीं हैं तो ?? राम की पूरी कहानी का केन्द्र दशरथ जी ही हैं । 💕 आशीष भाई से मिल कर आत्मिक शक्ति दोगनी हो गई । धन्यवाद भाई ". | | | | | | इस जीवन में सबसे बड़ा कर्जा होता है पितृ ऋण । कल आशीष यादव से मिलकर मुझे अपने ग्रेट पापा का दर्द समझ में आया । 21 साल की उम्र में पढ़ाई के दौरान ही प्रेम विवाह हो जाना और उसके बाद अपने माता-पिता से दूर किराए के कमरे में दुकान खोलना । जय नारायण डिग्री कॉलेज छात्र संघ का महामंत्री एक रुपए लेकर वीडियो गेम खेलाता था । यह कोई बहुत बड़ी उपलब्धि नहीं थी मेरी । खुद सोचिए - अगर आप अपने माता-पिता की तारीफ के काबिल नहीं हैं तो ?? राम की पूरी कहानी का केन्द्र दशरथ जी ही हैं । 🙏🙏❤️💕 आशीष भाई से मिल कर आत्मिक शक्ति दोगनी हो गई । धन्यवाद भाई ❤️💞 |
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